मध्यप्रदेश के लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे के खिलाफ हत्या के आरोप तय किए जाने के बाद यह यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि आखिर मुख्यमंत्री कमलनाथ ऐसे दागियों को कब तक प्रश्रय देंगे जो न केवल उनकी अपितु कांग्रेस की सारी प्रतिष्ठा को पूरी तरह से धूल में मिला देंगे। उल्लेखनीय है कि कमलनाथ सरकार में मुख्यमंत्री के बेहद करीबी माने जाने वाले सुखदेव पांसे बैतूल के मुलताई विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आए हैं और लोगों को पता नहीं कि उनमें ऐसी कौन सी विशेषता थी कि श्री कमलनाथ ने उनको अपने जिले तक का प्रभारी बना रखा है। जहां तक श्री कमलनाथ के व्यक्तिगत व्यवहार और आचरण का सवाल है तो किसी को उनसे कोई शिकायत नहीं होगी परंतु मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद वे जिस तरह के दागदार लोगों से निरंतर घिरे नजर आ रहे हैं वह अनेक सवालों को खड़ा कर रहा है। सबसे पहले तो यही प्रश्न है कि क्या उनको पता नहीं था कि सन 2007 में मुलताई के एक बहुचर्चित हत्याकांड में सुखदेव पांसे प्रमुख आरोपी थे। जैसा कि अपने देश में होता है राजनीतिक दलों के प्रभाव से यहां बड़े अपराधी मामलों को दबवा देते हैं परंतु अक्सर वे लंबे समय तक दबे नहीं रहते और अंततोगत्वा सामने आ ही जाते हैं। मुलताई के एक गांव के बोंदरू पारधी और उनकी पत्नी डोडल बाई पारधी की हत्या के मामले की जांच मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद जब सीबीआई ने की तो पांसे समेत अन्य आरोपी गिरफ्त में आ गए। सीबीआई की विशेष अदालत ने जब पांसे और अन्य लोगों के खिलाफ हत्या के आरोप में प्रकरण चलाने का फैसला दिया तो उसके खिलाफ आरोपी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट चले गए। हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया और एक आरोपी को दोषमुक्त घोषित करने के साथ जिन लोगों के खिलाफ प्रकरण चलाने का निर्देश दिया उनमें सुखदेव पांसे भी हैं। अब यह मामला भोपाल की अदालत में आ गया है और गत दिन जज द्वारा आरोप तय किए जाने के बाद श्री कमलनाथ पर यह नैतिक और राजनीतिक जिम्मेवारी आ जाती है कि वह ऐसे मंत्री को तत्काल अपनी टीम से बाहर करें जिसने उनके साथ सारी पार्टी को शर्मसार कर दिया है। सच तो यह है कि श्री कमलनाथ ने सत्ता को संभालने के बाद जिस तरह सरकारी अधिकारियों के स्थानांतरण किए वह राज्य के अधिकांश लोगों को रास नहीं आया। इसके खिलाफ यदि जनमानस की कोई बड़ी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई तो इसका एकमात्र कारण यह विचार था कि भाजपा के 15 वर्ष के शासनकाल में प्रशासन के पदों पर जिस तरह के लोग नियुक्त किए गए हैं उनको जब तक वहां से हटाया नहीं जाएगा तब तक संभवत: कांग्रेस अपने कार्यक्रम के अनुसार प्रशासन नहीं चला पाएगी। यह भी विचार था कि श्री कमलनाथ पार्टी के वचन पत्र के साथ अन्य कार्यक्रमों को चलाने के लिए ऐसी प्रशासनिक सर्जरी कर रहे हैं परंतु अब वह विचार त्रोहित होता जा रहा है। इसका एकमात्र कारण यही है कि उन्होंने ऐसे ऐसे दागदार लोगों को प्रशासन के महत्वपूर्ण पदों पर बिठा दिया है जिनको कायदे से सक्रिय सेवा से पूरी तरह बरतरफ करने के कदम उठाए जाने चाहिए थे। श्री कमलनाथ सहित कांग्रेस के प्रचंड समर्थक भले ही कितने दावे करें परंतु यह एक बड़ा सच है कि मध्यप्रदेश में श्री कमलनाथ के 9 महीने से अधिक के शासनकाल में प्रशासनिक क्षेत्र में वह बदलाव नजर नहीं आता जिससे लोगों की पार्टी और प्रशासन के प्रति आस्था बढ़ती। आज का मतदाता दशकों पूर्व का वह मतदाता नहीं है जो किसी के सत्ता में आने के बाद बरसों तक ऐसे फैसलों का इंतजार करे जो परिवर्तन के साथ उसके हित में भी हों। लोग आज प्रशासन की आसंदियों पर बैठे लोगों से त्वरित और प्रभावी निर्णयों की अपेक्षा करते हैं और इस कसौटी पर कमलनाथ सरकार अभी कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आती। लोग अपेक्षा कर रहे हैं कि सुखदेव पांसे के कांड के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी पुरातन अवधारणाओं के जाल को तोड़कर ऐसे कदम उठाएंगे जिससे प्रशासन के साथ उस कांग्रेस में भी लोगों की आस्था दृढ़ हो जिसको उन्होंने बड़ी अपेक्षाओं के साथ मध्यप्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में सत्ता की बागडोर सौंपी है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ के खास सुखदेव पांसे पर हत्या का आरोप तय दागी मंत्रियों के कामों से दागदार हो रहे हैं कमलनाथ